वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />११ मई २०१४<br />अद्वैत-बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहा:<br />सुख सागर का शील है, कोई न पावे थाह।<br />शब्द बिना साधु नहीं, द्रव्य बिना नहीं शाह।।<br /><br />प्रसंग:<br />मौन माने क्या?<br />अपने अंदर समर्पण का भाव कैसे लाए?<br />साधू कौन?<br />बांटने का क्या अर्थ है?<br />"डूब के जानो, झूम के गाओ" का क्या आशय है?<br />"शब्द बिना साधु नहीं, द्रव्य बिना नहीं शाह" संत कबीर साहब की इस पंक्ति का क्या आशय है?<br /><br />संगीत: मिलिंद दाते